ये है भारत की सबसे अमीर महिला उद्धमि काम जानकर आप भी प्रशंसा करेंगे

किरण मज़ूमदार शॉ का नज़रिया है कि भारत के गरीब लोगों की पहुंच भी दवाओं तक होनी चाहिए. बायोकॉन लिमिटेड की दवाओं से पहले मल्टीनेशनल कंपनियों की दवाएं काफी महंगी थी.

ये है भारत की सबसे अमीर महिला उद्धमि काम  जानकर आप भी प्रशंसा करेंगे

बायोकॉन (Biocon Limited) की फाउंडर किरण की संपति 4.8 बिलियन डॉलर है. इसे यदि रुपयों में अंकों में लिखा जाए तो ये फिगर कुछ ऐसा दिखेगा – 3,53,01,60,00,000 रुपये. मतलब 3 खरब 53 अरब एक करोड़ 60 लाख रुपये. अभी कहने और सुनने में ये बेहद अच्छा लगता है, मगर इसके पीछे किरण मज़ूमदार का कड़ा संघर्ष है.

इतनी सस्ती दवाएं कि हम उनके अहसानमंद

किरण मज़ूमदार पर हर भारतीय को गर्व इसलिए होना चाहिए क्योंकि अगर उन्होंने सस्ती दवाएं मुहैया कराने के बारे में सोचा नहीं होता तो आज करोड़ों लोग बिना इलाज के मर रहे होते. खासकार डायबिटीज़ और कैंसर के मरीज़ों की जिंदगी उन्होंने काफी आसान कर दी. किरण मज़ूमदार शॉ का नज़रिया है कि भारत के गरीब लोगों की पहुंच भी दवाओं तक होनी चाहिए. बायोकॉन लिमिटेड की दवाओं से पहले मल्टीनेशनल कंपनियों की दवाएं काफी महंगी थी. MNCs का मॉडल था लो वॉल्यूम और हाई वेल्यू (Low Volume and High Value). मतलब ये कि कम दवाएं बनाओ और उन्हें महंगे रेट पर बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाओ. मगर किरण की सोच अलग थी. उन्होंने इस मॉडल को उल्टा कर दिया – हाई वॉल्यूम और लो वेल्यू (High Volume and Low Value). मतलब कि प्रॉडक्शन ज्यादा करो और मुनाफा कम रखो. किरण मज़ूमदार के इसी फॉर्मूला की बदौलत आज भारत में प्रत्येक व्यक्ति तक दवा पहुंच रही है.

डायबिटीज़ की दवाई बेहद सस्ती

इसी नज़रिये के मद्देनजर बायोकॉन ने डायबिटीज़ की इंसुलिन विकसित की. इस इंसुलिन की कीमत प्रतिदिन 10 रुपये से भी कम है, जोकि पहले 300 रुपये से ज्यादा थी. मतलब अब डायबिटीज़ के मरीजों को इंसुलिन के लिए 10 हजार रुपये महीना नहीं देना होगा. वे 300 रुपये महीने में काम चला सकते हैं. इसे क्रांति नहीं तो क्या कहा जाए?

ं – भारत की 10 सबसे अमीर महिलाएं, किरण मज़ूमदार टॉप पर

कैंसर की दवाई 10 गुणा कम कीमत पर

वहीं ब्रेस्ट कैंसर की दवा, जिसका जेनरिक नाम Trastuzumab है, की एक डोज़ की कीमत लगभग दो लाख रुपये थी. मतलब एक साल में एक मरीज पर लगभग 20-50 लाख तक का खर्च. जाहिर है हर व्यक्ति इतना खर्च नहीं कर सकता. बायोकॉन ने यही दवा 50 हजार रुपये प्रति डोज़ की कीमत पर लॉन्च की थी. मतलब सीधा एक चौथाई कीमत कम हो गई. बाद में इस डोज़ को और भी सस्ता किया गया. अब एक डोज़ के लिए 20 हजार रुपये ही खर्च करने पड़ते हैं. इतनी महंगी दवाई को 10 गुणा कम कीमत पर उपलब्ध करवा दिया. अभी बायोकॉन का सफर जारी है और हम उम्मीद कर सकते हैं कि अभी बहुत कुछ होना बाकी है.